सावित्रीबाई फुले का समाज के लिए संघर्ष और उपलब्धियाँ
सावित्रीबाई फुले, जन्म से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान से प्रसिद्ध हुए
सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव जिले में हुआ था
सावित्री बाई का विवाह 9 वर्ष की आयु में ज्योतिराव फुले के साथ हुआ था।
.सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलके महिलाओं के लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया।
उन्होन 1852 में 'इंदु शिक्षा समिति' की स्थापना की, जिसमें वे महिलाओं के शिक्षण के लिए लगातार संघर्ष के रूप में दिखती रहीं
सावित्रीबाई फुले ने भारत में पहली महिला शिक्षक बनने का गौरव प्राप्त किया
उनका संघर्ष आदिवासियों, दलितों और महिलाओं के अधिकार के लिए था
सावित्रीबाई ने 'बालहत्या प्रतिबंधक गृह' स्थापित किया, जिसमे बच्चों को सुरक्षित रखने का काम किया गया
सावित्रीबाई भारत की पहली महिला है जिन्होंने विद्यार्थियों के लिए छात्रावास की स्थापना की
सावित्रीबाई फुले ने समाज में जाति-व्यवस्था और महिलाओं के अधिकार के प्रति जागृति बढ़ाने में अपना योगदान दिया
उनकी कविताएं और लेखन महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और सामाजिक न्याय के विचार व्यक्त करती हैं।
सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को मूक बनने से मुक्त करने के लिए अपना जीवन समर्पण किया
सावित्रीबाई स्त्री शिक्षा के लिए लड़ी ,उनका जीवन उनकी बहादुरी और समर्पण का प्रतीक है
सावित्रीबाई फुले, समाज में समानता और न्याय की दिशा में अनुपम योगदान के लिए याद की जाती हैं
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