Navaratri puja, effect of worship of 9 goddesses "Navdurga"

1.शैलपुत्री: देवी दुर्गा का नाम हिमालय के घर जन्म लेने वाली पार्वती के रूप में भी है। हिमालय का एक अन्य नाम शैलेंद्र या शैल भी है, जिसका अर्थ होता है पहाड़ या चट्टान। उनकी मां का नाम मैना था, जिसके कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है, शैलपुत्री की पूजा धन, रोजगार, और स्वास्थ्य के लिए की जाती है। 

2. ब्रह्मचारिणी : जो ब्रह्मा के द्वारा बताए गए आचरण पर चले। यह देवी हमें संयम और नियमों के साथ जीने की महत्वपूर्णता सिखाती है। उन्हें पूजने से हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। बिना नियमों और सिद्धांतों के, कोई भी मंजिल हासिल नहीं की जा सकती।

३. चंद्रघंटा देवी : जिनके माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा होता है। उन्हें संतोष की देवी माना जाता है। सफलता के साथ हमें शांति की भी आवश्यकता होती है, जो केवल संतोष से ही मिल सकती है। धन्य महसूस करने की कला को हमें चंद्रघंटा देवी से सीखनी चाहिए।

४. कुष्मांडा देवी , जो कि ब्रह्मांड की रचना के साथ जुड़े हैं। इन्हें भय को दूर करने वाली माना जाता है। भय से मुक्त होकर ही हम सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं। देवी कुष्मांडा की पूजा से हम भय से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और सुखद जीवन बिता सकते हैं।

५. स्कंद माता देवी का यहाँ पांचवां  स्वरूप हैं। उन्हें शक्ति की प्रतिनिधि माना जाता है। सफलता के लिए उनकी कृपा और शक्ति का संचय अत्यंत आवश्यक होता है। स्कंद माता की पूजा से हम शक्ति के साथ काम कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं

६. कात्यायिनी देवी का यह छठा स्वरूप हैं। उन्हें स्वास्थ्य की देवी माना जाता है। स्वस्थ शरीर और मन ही सफलता की कुंजी होते हैं। कात्यायिनी देवी की पूजा से हम रोग, शोक, और संताप से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं

७. कालरात्रि देवी सातवां स्वरूप हैं, जो कि सिद्धियों का मूल हैं। उन्हें उपासना करने से हम सफलता के लिए आवश्यक शक्तियों को प्राप्त कर सकते हैं। दिन-रात के भेद को भूलकर लगातार काम करने से ही हम सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं

८. महागौरी देवी आठवाँ  स्वरूप, जो कि पार्वती का सबसे उत्कृष्ट स्वरूप हैं। उन्हें पूजने से हम पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और अपने चरित्र को उज्जवल बना सकते हैं, जो सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक होता है

ये देवी सारी सिद्धियों का मूल (Origin) हैं। देवी पुराण के अनुसार  भगवान शिव ने देवी के इसी स्वरूप से कई सिद्धियां प्राप्त की। शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में जो आधी देवी हैं वो ये सिद्धिदात्री माता ही हैं। हर तरह की सफलता के लिए इन देवी की आराधना की जाती है।