Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas, बच्चों का बौद्धिक और मानसिक विकास


Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas”बच्चों का बौद्धिक और मानसिक विकास” का मानव जीवन में क्या महत्व है मानव विकास में इसका क्या प्रभाव पड़ता है। 

Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas

बच्चों का बौद्धिक और मानसिक विकास– Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas

Intellectual and mental development of children

मानव जीवन में बचपन का क्या महत्व है?

What is the importance of childhood in human life?

Intellectual and mental development of children:जन्म से बच्चे सरल स्वभाव के एवं पवित्र होते है किन्तु वह मनुष्य के घृणित सम्पर्क में आकर वे अपवित्र हो जाते है बचपन
में मन और शरीर दोनों कोमल होते है। उन्हें जैसी शिक्षा और दीक्षा मिलती है वैसे ही उन बच्चों के शारीरिक मानसिक और सामाजिक व्यक्तित्व का विकास होता है।  Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas

बच्चों के बौद्धिक विकास (Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas) के लिए इन उपायों को अपनाकर  हम बच्चों का बहुमुखी निर्माण कर सकते हैं

बच्चे मुलत: पवित्र और बुद्धि से खाली होते हैं किंतु मनुष्य के संपर्क में आते ही वह अपवित्र होने लग जाते हैं

बच्चे बचपन में मन और शरीर दोनों के लचीले होने के कारण उन्हें किसी भी अवस्था में परिवर्तित किया जा सकता है।

उन्हे जैसी शिक्षा दीक्षा मिलती है वैसे ही बच्चों के शारीरिक मानसिक और सामाजिक व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

बच्चों के जीवन का विकास हमारी परवरिश ,बोल चाल ,रहन सहन पर निर्भर करता है।

Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas

बचपन मे बच्चे का विकास किस तरह होता है?

How does a child develop in childhood?

Intellectual and mental development of children, Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas

मनुष्य जीवन के प्रारंभिक विकास का समय बहुत ही मूल्यवान होता है बचपन जैसे-जैसे बढ़ता है बच्चे की अनुभूतियां मजबूत होती जाती हैं और उनमें विचारों की दृढ शक्ति बढ़ती जाती है

0 से 2 वर्ष – इस अवस्था में बालक अपनी इन्द्रियों के साथ साथ वस्तुओं के साथ शारीरिक सम्बन्धो का उपयोग करके सामाजिक बोध का निर्माण करते है।  

2 से 5 वर्ष- बच्चो में स्मृति जिज्ञासा कल्पना का विकास होने लगता है और वे चीजों को प्रतीकात्मक रूप में समझने में सक्षम होने लगते है(घर में खेलना, चाय पार्टी करना)

चौथे वर्ष में आने पर बच्चे में निर्णय लेने की बुद्धि का प्रारंभ हो जाता है बुद्धि का विकास होने लगता है। 

वैज्ञानिक मतानुसार लगभग 5 से 6 साल की आयु में बच्चों के विकास की जीवनशैली बनना प्रारंभ होती है और 7 वर्ष के
बाद बच्चों में विचारों के विकास की गति तीव्र हो जाती है 

बारह वर्ष की उम्र तक आते आते उनमें तार्किक वृद्धि, सोचने की क्षमता विकसित होती है और उनके अनुभवों के अनुसार उनकी विचार वृत्तियां विकसित होती हैं।

भारतीय दर्शन के अनुसार मानव जीवन का उत्थान और पतन मनुष्य के विचारों पर निर्भर करता है मनुष्य को उसके
विचारों का पुतला माना गया है जिन पर वह खडा होता है। 

बाल्यकाल अर्थात 6 से 12 वर्ष की आयु के विचारों की अनुभूतियों का मानव के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है 

बालकों के विकास और उनके संरक्षण की यह एक उपयुक्त अवस्था होती है।

Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas

बुद्धि के अनुसार बच्चों का विभाजन-

Division of children according to intelligence

Intellectual and mental development of children

एक बालक अपने अपने माता-पिता से प्राप्त जींस के अनुसार व्यवहार और बोली के अनुरूप स्वभाव को प्राप्त करता है।

माता-पिता आहार-विहार और सामाजिक वातावरण सभी के लिए अलग-अलग होते हैं।

सभी बालकों के शरीर, मन ,बुद्धि और अभिरुचि अलग अलग होती है। 

किंतु स्वाभाविक प्रवृत्ति जैसे भूख लगना क्रोध आना,आश्चर्य होना, आनंद होना, आमोद प्रमोद, हसना मानव प्रवृतियां सभी में समान रूप से होती हैं। 

बच्चों की बुद्धि विकास के अनुसार तीन श्रेणियों में रखा गया है

 प्रखर बुद्धि Sharp mind

 सामान्य बुद्धि Common sense

 मंदबुद्धि Feeble minded

प्रखर बुद्धि Sharp mind

Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas
यानि तेज दिमाग वाले बालकों में एक विशेष तरह की प्रतिभा होती है

जो छोटी सी उम्र में उनकी बुद्धि आगे हो जाती हैऔर उनकी देखरेख की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है ऐसे बुद्धि वाले बालक कम संख्या में होते हैं। 

दूसरा सामान्य बुद्धि वाले बालक: इन बालकों  की संख्या अधिक होती है और सामान्य तरीके से इनका विकास होता रहता है। 

तीसरा मंदबुद्धि: इन बालकों का विकास करने में बहुत अधिक समय और मेहनत  की जरूरत होती है  और बड़ी कठिनाई से उनमें सुधार हो पाता है। 

प्रखर बुद्धि वाले बच्चों की तरह ही इनकी भी बहुत अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।

बुद्धि का वास्तविक अर्थ क्या है 

Intellectual and mental development of children

बुद्धि के कई अर्थ हैं कोई इसे सीखने की सामर्थ कहता है कुछ लोग बुद्धि को तार्किक ज्ञान से लगाते हैं या या बाहरी परिवेश को  जानने से लगाते हैं लोगों के विचार में बुद्धि सजीव की एक प्रक्रिया मात्र है।

हम यह समझे कि बालक की बुद्धि एक स्वाभाविक वृत्ति और महत्वपूर्ण तत्व है जिसे मनुष्य का बल कहते हैं।

इसी के सहारे मनुष्य अलौकिक विभूतियों को प्राप्त करता है। 

बुद्धि के विकास से उचित और अनुचित का निर्णय करते हैं और अपने विकास का पथ निश्चित करते हैं। 

मनुष्य परिस्थितियों के अनुसार तत्काल आवश्यक समाधान नहीं कर सकता।

अल्पज्ञान रहने के कारण व्यक्ति  विचार नहीं कर पाता इसलिए वह मनोवृक्तियों का दास बन जाता है और उसके
मानसिक विकास में कठिनाई होती है।

बौद्धिक एवं मानसिक विकास के कारण 

Due to intellectual and mental development

मूल प्रवृत्तियां- बच्चा मनुष्य की मूल प्रवृत्तियों और संदेशो का पुतला है इन्ही से प्रेरित होकर वह विकसित होता है। 

वंशानुगत दोष- यह एक ऐसी उपज है जिसमें जीवन भर सुधार हो पाना संभव नहीं होता है। 

अनुवांशिकता सिद्धांत के अनुसार कुछ बालको में यह एक स्वाभाविक तत्व है जो जन्म के समय से ही
निश्चित रहती है और समय से ही विकसित हो पाती है। 

वातावरण- सब कुछ वातावरण पर निर्भर करता है।वातावरण के प्रभावित होकर बुद्धि के स्वरूप का निर्माण
होता है। 

विज्ञान के अनुसार शारीरिक व्यवस्थाओं का नियमित होना मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

बौद्धिक एवं मानसिक विकास के लिए जिम्मेदार कौन ?

Who is responsible for intellectual and mental development?

जन्म से बच्चें मूर्ख नहीं होते। भ्रम चिंता असामाजिक वृत्ति को लेकर कोई बच्चा पैदा नहीं होता
है। सभी बच्चे कोमल होते है। 

बच्चो के विकास में स्वाभाविक जिज्ञासा  होती है, जो उनमें स्थित बुद्धि विकास का प्रतीक होता है। 

सामाजिक संस्कारों से और वातावरण से बच्चे जाने अनजाने में प्रभावित होते रहते हैं। 

बालकों के बोलचाल रहन-सहन आदान-प्रदान व्यवहार आदर्श नीतियां नीति के भाव और उनके विचारों पर
उनके परिवार का गहरा प्रभाव पड़ता है। 

कहा गया है कि घर बच्चे की पहली पाठशाला है। 

माता पिता के सामाजिक ,पारिवारिक और तार्किक व्यवहारों पर बच्चे का विकास निर्भर करता है। 

माता पिता के व्यवहार सुंदर ,शिष्ट, सौम्य और सामाजिक गुणों से युक्त हैं तो बच्चों की परवरिश आदर्श और संतुलित होती हैं। 

इसके विपरीत यदि उनके व्यवहार अश्लील असभ्य और उद्दंडता  पूर्ण होते हैं तो बालक अनुशासनहीनता, ईर्ष्या, असभ्यता और  आयोग्यता का विकास होता है।

बच्चे का पूर्ण विकास उनके माता पिता संरक्षण के ऊपर निर्भर करता है और वातावरण का प्रभाव भी निश्चित रूप से बालकों के ऊपर पड़ता है।

बच्चों बौद्धिक एवं मानसिक विकास में विषमता का प्रभाव-

Impact of disparity in children’s intellectual and mental development

बच्चों के बौद्धिक विकास (Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas) में आर्थिक विषमता भी एक प्रबल बाधा है। दरिद्रता और गरीबी से बच्चों में हीनता की भावना उत्पन्न होती है जो उनके विकास में बाधक होती है। 

उचित ढंग से उनका संरक्षण हुआ है तो वह स्वावलंबी आशावादी और पराक्रमी बन जाते हैं इसके अलावा यदि उनमें कुशाग्र बुद्धि का विकास नहीं हो पाता है तो मानवता की एक बहुत बड़ी छति हो जाती है।

समान उम्र के बच्चों में एक स्वाभाविक आकर्षण होता है फिर भी एक दूसरे का अनुसरण करते हैं। इसी अवसर पर उनकी उचित देखभाल की आवश्यकता होती है

बौद्धिक एवं मानसिक विकास में शिक्षा का प्रभाव-

Effect of education in intellectual and mental development-

बच्चों में प्यार की एक कामना होती है जो प्यार के भूखे होते हैं।

प्यार के ही पूर्ण व्यवहारों से उनके संवेदनात्मक विचारों को बल मिलता है और उनमें सहृदयता  उत्पन्न होती है। 

बच्चों को एक सामान्य व्यक्ति की तरह आदर और सम्मान दें इससे उनका नैतिक विकास होगा। 

बच्चों को उनके अपराधों के लिए आप खुद उद्दंडता क्रोध और आवेश के स्थान पर संयम धैर्य और विवेक का प्रयोग करें। 

उनकी अवस्था से या उनके विवेक से अधिक ऊंचे बौद्धिक स्तर के व्यवहार की आकांक्षा ना रखें। 

उनके प्रश्नों के उत्तर बुद्धि युक्त ढंग से देना चाहिए बच्चों के सामने उसी तरह के आचरण करें  जैसे आप निसंकोच समाज में कर सकते हैं। 

बच्चों को डराना धमकाना नहीं चाहिए। Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas

बच्चों को ऐसी बातों का आश्वासन नहीं देना चाहिए जिसकी पूर्ति की संभावना नहीं हो।

बच्चों में सामाजिक रुचि उत्पन्न करें इससे वे एक कुशल नेतृत्व बनते हैं।

उन्हें अनुभूतियों भावनाओं और कल्पनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें। 

बालकों में प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न करें और मनोरंजन के ज्यादातर अवसर प्रदान करें। 

उनकी सफलताओं के लिए आप अपनी प्रसन्नता व्यक्त करें। 

उनकी सफलता का पूर्ण उत्तरदायित्व आप अपने ऊपर ले। 

आयुर्वेद के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य के लिए सद्विचार पवित्रता एकता सात्विकता आदि गुणों का प्रमुख स्थान है

ताजे फलों का सेवन भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है। 

Intellectual and mental development of children

बच्चों के बौद्धिक विकास (Baccho ka Bauddhik aur Mansik Vikas)से संबंधित यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इससे अपने मित्रों परिजनों और दोस्तों में शेयर करें ताकि आने वाली पीढ़ी का निर्माण सुव्यवस्थित ढंग से किया जा सके।

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