Deepawali kyon Manate hai दीपावली क्यों मानते है

 Deepawali kyon Manate hai दीपावली हिन्दू धर्म का पवित्र त्यौहार है यह पूरे भारत में मनाया जाता है दीपावली क्यों मानते है? जानते है दीपावली के बारे में –

दीपावली क्यों मानते है

 

Deepawali kyon Manate hai:दीपावली (संस्कृत में : दीपावलिः = दीप + अवलिः = दीपकों की पंक्ति, या दीपों को पंक्ति में रखे हुए ) शरद ऋतु  हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन सनातन धर्म का  त्यौहार है।  यह प्रति वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है और भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दीपावली दीपों का त्योहार है। यह ‘अन्धकार पर प्रकाश की विजय’ को प्रदर्शित करता है। Deepawali kyon Manate hai

‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात (हे भगवान!) हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाइए। यह उपनिषदों में वर्णित  है। यह त्यौहार हिन्दू धर्म के साथ साथ  सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग दीपावली को  महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं

 Deepawali kyon Manate hai दीपावली क्यों मानते है

यह माना जाता है कि अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के बाद रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे तब अयोध्यावासियों ने भगवन श्री राम के आगमन से हर्षित होकर हर्षोल्लास के साथ श्री राम के स्वागत में अयोध्यानगरी में  घी के दीपक जलाए थे । कार्तिक मास की घनी काली अमावस्या की रात थी।

अयोध्यावासियों द्वारा जलाये गए दीयों की रोशनी से रात जगमगा उठी और जलते हुए दीयों से अयोध्यानगरी का दृश्य बहुत ही सुंदर हो गया था तब से आज तक भारत मे प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाया जा रहा  हैं। 

दीपावली Diwali Festival स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों को  रंग-रोगन करके साफ-सुथरा कर सजाते हैं। Deepawali kyon Manate hai

 Deepawali kyon Manate hai:यह भी उल्लेख मिलता है दीपावली के दिन भारत,  नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश होता है।

 Deepawali kyon Manate hai इन कारणों से  दीपावली का त्योहार मनाया जाता है-

1. इसी दिन 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवन राम, रावण का वध करके लंका पर विजय करने के बाद अयोध्या वापस लौटे थे अयोध्यावासियों ने असंख्य दीप जलाकर भगवान श्री राम का स्वागत किया था। इसीलिए यह दिन विजयोत्सव के रूप में दीपक जलाकर मनाया जाता हैं।

2. विष्णु भगवान ने इसी दिन राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र देव ने अपने स्वर्ग को सुरक्षित मानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपोत्सव मनाया था

3. इस दिन भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद को बचाने के नरसिंह रुप धारण करके हिरण्यकश्यप का वध किया था।

4. आर्यसमाज के संस्थापक और महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण इसी दिन हुआ था।

5. इसी दिन समुद्रमंथन के समय लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए थेऔर यह भी मान्यता  है कि इसी दिन माता काली भी प्रकट हुई थी इसी कारण बंगाल में कालिका की पूजा करके दीपावली मनाने का प्रचलन है।

6. इस दिन के ठीक एक दिन पहले श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस खुशी के मौके पर दूसरे दिन दीप जलाए गए थे।

7. भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 12वां अवतार धन्वंतरि जी को माना गया है। उन्हें आयुर्वेद का जन्मदाता माना गया और वे देवताओं के चिकित्सक के रूप में जाने जाते है। धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के दिन हुआ था। इसीलिए धनतेरस मनाई जाती है।

8. भाई दूज को यम द्वीतीया भी कहा जाता हैं। यम के निमित्त धन तेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज इन पांचों दिनों में दीपदान किया जाता हैइसी  दिन श्रीकृष्ण ने इंद्रोत्सव न मनाकर गोवर्धन पूजा प्रारंभ किया था।

9. यह दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी है।जैनधर्म में जैन मंदिरों में निर्वाण दिवस प्रकाश उत्त्सव के रूप मनाया जाता है।

10. 2500 वर्ष पहले गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने गौतम बुद्ध के स्वागत में असंख्य दीप जला कर दीपावली मनाई थी।

11. इसी दिन अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। दीपदान किया गया था।

12.  सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को इसी दिन कारागार से रिहा किया गया था।दीपवाली मनाई गयी थी।

13. उज्जैन के महान सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक बड़ी धूमधाम से दीपक जलाकर दीपको की झिलमिल रोशनी में मनाया गया था।

14.  गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने  विक्रम संवत की स्थापना की थी।  विक्रम संवत की स्थापना करने के लिए धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर मुहूर्त निकलवाया था।

दीपावली का महत्व (Deepawali kyon Manate hai )

दीपावली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक  है। पौराणिक मान्यताओं हुए कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम ने लंकापति रावण को मारकर विजय हासिल  की थी और इसी  दिन  14 साल का वनवास पूरा करने के  बाद  वह अयोध्या वापस लौटे थे।

भगवान राम के वापस आने की खुशी मे अयोध्यावासियों ने  प्रकाश का पर्व दीपावली मनाया ।  जब भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता अयोध्या आए थे तो अमावस्या की काली रात को दीपों के उजाले से जगमग कर दिया गया था।

इस प्रकार दीपावली मिलन का त्योहार है और  लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाई बांटते हैं।

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दीपावली पूजन सामग्री –

आज के विद्वानों के अनुसार निम्नलिखित सामग्री से दीपावली की पूजा की जाती है

मां लक्ष्मी की प्रतिमा (कमल के पुष्प पर     बैठी हुईं),गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा (गणपति जी की सूंड बांयी ओर होनी चाहिए)
कमल का फूल ,    गुलाब का फूलपान के पत्ते      रोली,        सिंदूर   
अक्षत (साबुत चावल    पूजा की सुपारी     केसर, फल,    फूल,          मिष्ठान,
दूध,     दही,     शहद,     इत्र,      गंगाजल,   कलावा,    बताशे,         तेल  
धान का लावा(खील)      मिट्टी के दीपकशुद्ध घी           रुई की बत्तियां,  
तांबे या पीतल का कलश,एक पानी वाला नारियल,    
चांदी के लक्ष्मी गणेश स्वरुप के सिक्के,  चौकी और पूजा के लिए थाली।  
साफ आटा, लाल या पीले रंग का कपड़ा आसन के लिए,लक्ष्मी जी के समक्ष जलाने के लिए पीतल का दीपक,

        हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाते है। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को है। ऐसे में दिवाली या दीपावली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन से घर में सुख-शांति  समृद्धि आती है।

साल 2022 में लक्ष्मी पूजन का समय-

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त:18:54:52 से 20:16:07 तक
अवधि :1 घंटे 21 मिनट
प्रदोष काल :17:43:11 से 20:16:07 तक
वृषभ काल :18:54:52 से 20:50:43 तक

आप सभी से यह अनुरोध है कि दीपावली का त्यौहार ख़ुशी के साथ मिलकर मनाइये अनहोनी का हरसम्भव ख्याल रखिये।

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