Mind is Blank Know How :आज का लेख बहुत ही ज्ञानप्रद और उपयोगी है आप जानेंगे कि आपका दिमाग आपका मन अपने आप में शून्य है। दोस्तों राजजनसुविधा में आपका स्वागत है। पढ़िए और जानिए हमारा दिमाग शून्य कैसे है ?
Mind is Blank Know How दिमाग शून्य है ,जाने कैसे?
Mind is Blank Know How :कहानियां, कहावतें पट कथाएं किसी भी द्रश्य को देखकर अपने विचारों को व्यक्त करते हुए लिखी जाती है जो मनोरंजक, मोटिवेशनल ,हास्यास्पद मार्मिक, हृदयस्पर्शी और कारुणिक हो जाती हैं
लेखक या रचयिता दृश्य को देखकर अपने भावों को प्रकट करता है उसके यह भाव किस रूप में निकलते हैं यह पटकथा लिखने के बाद ज्ञात होता है Mind is Blank Know How
यह पटकथाएं ,यह कहानियां किन्ही स्थानों पर ,देवी-देवताओं पर, किसी न किसी दृश्य पर ही लिखी जाती हैं।
यह पूर्ण रूप से सत्य है कि कोई भी लेखक , रचनाकार, विवेचक, व्यंग कार साहित्यकार इतिहासकार किसी भी वस्तु, किसी भी दृश्य, किसी भी स्थान को बिना देखे, बिना पढ़े कोई भी तथ्य नहीं लिख सकते है।Mind is Blank Know How
हम कोई भी गद्य ,कोई भी पद्य, कोई भी कहानी, कोई भी रचना तभी लिख सकते हैं जब हम प्रकृति को , बाहर के दृश्य को ,वातावरण को देखते हैं, तभी हमारे मन में कुछ भी लिखने का विचार उत्पन्न होता है
मन अपने आप में शून्य है –
आज के युग में कंप्यूटर को मन से अधिक तेज गति से काम करने वाला कहा जाता है जल्दी काम करने वाला कहा जाता है और हां कम्प्यूटर जल्दी काम करने वाला है भी परंतु सत्य यह भी है कि कंप्यूटर भी अपने आप में कुछ भी नहीं है उसमें भी मनुष्य के द्वारा संग्रहित की गई यादें, क्रियाकलाप, कार्य करने के तरीके सॉफ्टवेयर के रूप में स्थापित कर दिए जाते हैं और यह सॉफ्टवेयर जिन उपकरणों में संग्रहित किया जाता है वह उपकरण भी वैज्ञानिकों द्वारा ही बनाए जाते हैं और वैज्ञानिक लोग पूर्व में लिखी गई पद्धतियों को पढ़ते हैं सीखते हैं और उपकरण बनाते हैं।Mind is Blank Know How
कंप्यूटर को चलाने वाला ही कंप्यूटर को जो कुछ करने का संदेश देता है वह कंप्यूटर उसी संदेश के अनुसार अपने में संग्रहित की गई यादों में से चुने गए विषय को बाहर निकाल कर दृश्य पटल पर दिखाने लगता है.नजर बदलो सोच बदल जाएगी.
आप कल्पना कीजिए , आप कल्पना तभी कर सकते है जब आप कुछ देखते हो ,सुनते हो लिखते हो। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण आपके सामने है कि जब कोई बच्चा जन्मता है उस बच्चे को कुछ भी पता नहीं होता जन्म के बाद वह सुन नहीं सकता है उसका दिमाग शून्य होता है। आप सभी ध्यान दें की क्या एक जन्मा हुआ बच्चा कुछ सोच सकता है कुछ लिख सकता है किसी चीज की कल्पना कर सकता है मेरे ख्याल से वह कुछ भी नहीं कर सकता।
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परंतु जैसे जैसे वह बच्चा बड़ा होता है वह कुछ देखने लगता है उसके बाद में वह सुनने भी लगता है । बच्चे की मां और अन्य लोगों के द्वारा उसे किसी ना किसी तरह से जागरूक करने का प्रयास किया जाता हैं, सिखाने का प्रयास किया जाता हैं , उसे बैठना सिखाते हैं उसे चलना सिखाते हैं उसे बोलना सिखाते हैं उसे खाना सिखाते हैं जैसे जैसे वह बच्चा बाहर के परिवेश को देखता है वैसे वैसे उसके दिमाग में यादें संग्रहित होती जाती हैं वह कुछ सोचने लगता है।वह सोचता उन्हीं के बारे में है जो वह देखता है और जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है उसे

कहानियां सुनाई जाती हैं कविताएं सुनाई जाती हैं ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसे स्कूल भेजा जाता है स्कूल भेजने से पहले उसकी मां या परिवार वाले ही उसे कुछ ना कुछ सिखाते रहते हैं स्कूल जाने के बाद वह बच्चा कुछ बुद्धि युक्त ,विवेक युक्त होने लगता है
इसी तरीके से जैसे-जैसे और बड़ा होता जाता है वैसे वैसे उसके दिमाग का विकास होता है क्योंकि वह पर्यावरण की बहुत सारी अनंत चीजें देखता है और पढ़ने भी लगता है देखने लगता है तब जाकर वह बच्चा अपने आप सोच कर कोई भी चीज लिखने में सक्षम हो पाता है Mind is Blank Know How

इस प्रकार हमने पाया की हम अपने आप में बिल्कुल जीरो है प्रकृति ही सब कुछ है प्रकृति ही सब कुछ सिखाती है।
हमारे मन मस्तिष्क का विकास घटनाओं को देखकर ,पर्यावरण को देखकर, हमारे आस पास घटित होने वाली घटनाओं को देखकर , अपने चारों तरफ के परिदृश्य को देखकर ही होता है ।
प्रिय पाठक गण क्या आप लोग शायद हमारे इस विचार से सहमत होंगे ।
आप सहमत हैं या असहमत हैं दोनों ही परिस्थियों में अपने कमेंट जरूर दीजिए ।
धन्यवाद,
जय हिंद जय भारत
आजादी का महोत्सव घर-घर तिरंगा
हम लहराएंगे शादी का जश्न मनाएंगे
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