Motivational Quates of Life Jeevan ke Anmol Vichar

Motivational Quates of Life जीवन के अनमोल विचार 

मोटीवेशनल   Quates  जीवन के विचार by rajjanuvidha.in

1- इस कलियुगी दुनिया में,  उसकी कदर नहीं होती,
जो सच में, रिश्तों की कदर करता है,
कदर उसकी होती हैं,  जो सबसे ज्यादा, दिखावा करता है
 
2- जो इंसान औरों के चेहरे की मुस्कान देखकर खुश होता है।
ईश्वर उसके चेहरे की मुस्कान कभी फीकी नही पड़ने देता।।
 
3- किसी व्यक्क्ति का प्रथम परिचय उसका ख़ूबसूरत चेहरा हो सकता है।
परन्तु वास्तविक परिचय तो उसका व्यवहार ही होता है।।
 
4- लोहे को कोई खराब नहीं कर सकता।
पर उसकी खुद की जंग उसे खराब कर देती है।।
इसी तरह इंसान को कोई और नहीं बल्कि
खुद के निगेटिव विचार उसे बर्बाद कर देते हैं।।
 
 
5- खेत में बोए हुए सभी बीज अंकुरित नहीं होते
परंतु जीवन में किए गए सत्कर्म का एक भी बीज व्यर्थ नहीं जाता।
 
6- बदलाव” कभी कष्ट नहीं देता,
कष्ट देती है बदलाव लाने की प्रक्रिया।
    
7- फल होने के बाद भी आप खुद को उस व्यक्ति
   से बड़ा न समझें जिस के हाथों को पकड़ कर
       
आपने सफलता की सीढ़ी चढ़ी है.
ईश्वर ने आपके लिए क्या माया जाल रचा है
ये तुमको पता नहीं है
 
8- जो भी होता है अच्छे के लिए होता है
किसी को भी ख़ुश करने का, मौक़ा मिले तो छोड़ना मत
वो  फ़रिश्ते  ही  होते हैं, जो
किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट, दे पाते है।


9- प्रेम” या “सम्मान”
का भाव सिर्फ उन्हीं के प्रति रखिए।
जो आपके “मन” की भावनाओं को समझते हैं

कहते है कि-
जलो वहाँ , जहाँ जरूरत हो।
“उजालों” में “चिरागों” के मायने नहीं होते।

10- ज़िंदगी एक  ऐसी पाठशाला है जहाँ
 जहॉ क्लास तो बदलती रहती है
परन्तु विषय नही बदलते

11- जब तक ज़िन्दगी पटरी पर चलती है
तब तक  सोचते हैं कि हम कुशल चालक हैं
लेकिन जब पटरी से उतरती है
तो सच सामने आता है कि ज़िन्दगी
कोई और ही चला रहा है ।   “इसलिए ईश्वर को न भूलें”

12- दिखावा और अक़्लमंदी ,साथ-साथ नहीं रह सकते।
सूर्य उदय और अस्त होते समय बहुत सुंदर लगता है, 
लेकिन उस का प्रकाश 
“दोपहर” को ही सब से “ज्यादा” होता है, 
     जबकि उसमें कोई विशेष  “सौंदर्य नहीं” होता.
इसलिये अगर आपको देखना ही है तो 
हर एक की “विशेषताए” देखिये, 

13- स्वयं का बचाव करने के लिए कभी भी, दूसरों पर दोषारोपण न करें,  
      क्यों कि समय के पास सत्य को प्रकट करने का  अपना तरीका है.

 14- श्रेष्ठता जन्म से नहीं आती
गुणों के कारण इसका निर्माण होता है।

15- दूध, दही, छाछ, घी सब एक ही कुल के होते हैं
    लेकिन सबके मूल्य अलग अलग होते हैं।

16- हमारे जीवन में थोड़ा ख़ालीपन भी बहुत ज़रूरी है,
 क्योंकि यही तो वो समय है, जहाँ हमारी मुलाक़ात ख़ुद से होती है।

17- जीवन जितना सादा रहेगा तनाव उतना ही आधा रहेगा।

18- योग करें या ना करें पर ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे का सहयोग ज़रूर करें।

19- लोग कहते हैं खाली हाथ आये हो और खाली हाथ जाओगे पर ऐसा नहीं है लोग भाग्य लेकर आते हैं और कर्म लेकर जाते हैं।

 20- महत्व इन्सान का नहीं   उसके,अच्छे स्वभाव का होता है। 
  कोई एक पल में दिल जीत लेता है
तो कोई जिन्दगी भर साथ रहकर भी नहीं जीत पाता।।

 21- आप चाहकर भी अपने प्रति,  लोगों की धारणा को नहीं बदल सकते,
 इसलिए सुकून से अपनी जिंदगी को जिये और खुश रहें।

22- चापलूस और आलोचक में केवल इतना अन्तर है
  कि चापलूस अच्छा बनकर, बुरा करता है
  और आलोचक, बुरा बनकर अच्छा करता है। 

23- मनुष्य ना टूटता है, ना बिखरता है, बस थक जाता है
कभी स्वयं से, कभी भाग्य से
तो कभी कभी अपनों से, लेकिन धैर्य मनुष्य को सफल बनाता है।

24- मन का शांत रहना   “भाग्य है” 
 मन का वश में रहना    “सौभाग्य है” 
  मन से किसी को याद करना  “अहोभाग्य है” 
 और मन से कोई याद करे, तो वो है “परम सौभाग्य है”

25- “रोग” अपनी “देह” में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है।
और”औषधि” वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है।।

26- “हित” चाहने वाला पराया भी अपना होता हैं
    और अहित करने वाला अपना भी पराया हो जाता है।।
     
27- अच्छाई और बुराई इंसान के कर्मो मे होती है,
  कोई बांस की तीर बनाकर किसी को घायल करता है
 तो कोई बांस की बांसुरी बनाकर बांस मे सुर भरता है।

28- मेहमान देखकर मान और सम्मान बदल जाते हैं,   
चढ़ावा कम हो तो आशीष और वरदान बदल जाते हैं।   
वक्त पर मन की मनोकामना पूरी अगर न हो तो,
 भक्तों की भक्ति, मंदिर और भगवान बदल जाते हैं॥

29- जन्म के समय खुशी होती है यह भी आप नहीं जानते
मरने के बाद दुःख होता है यह भी आप नहीं जानते।
परन्तु इन दो अवस्थाओं के बीच की सारी सचाई
आप जानते है, जिसे जीवन कहते है। 

30- सत्य अपने लिए रखना, प्रेम दूसरों के लिए
  और करुणा सबके लिए , यही जीवन का व्याकरण है

31- अगर  शहद  जैसा, मीठा  परिणाम  चाहियें  तो
मधुमक्खियों  की  तरह ,एक  रहना  ज़रूरी है।
चाहे  वो  दोस्ती  हो, “परिवार  हो”या  हो अपना  “देश” ।।

32- मौन वह है जो हमारे मन को शोर से शांति में,

 अंधेरे से प्रकाश में और अज्ञान से ज्ञान में ले जाता है।

 33- सत्य सर्जरी की तरह है,
  दर्द तो होता है पर ठीक हो जाता है।
  झूठ दर्द निवारक की तरह है, तुरंत राहत देता है परन्तु-
“इसके दुष्प्रभाव बाद में होते हैं”। 

34- जीवन की सबसे पहली जरूरत है, आपका ख़ुश रहना
  आपकी संपत्ति, पैसा,उपलब्धि, प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, पद
 यह कुछ भी मायने नहीं रखता “यदि आप जीवन में खुश़ नहीं हैं”।

35- मेहनत का फल,  मुसीबतों का हल। 
और आने वाला कल, सब ईश्वर के हाथ में है।।
             
36- आदमी के गुण और गुनाह दोनों की कीमत होती है,
   अंतर सिर्फ इतना है कि गुण की कीमत मिलती है
   और गुनाह की कीमत चुकानी पड़ती है।

37- जिस शरीर के साथ हम पैदा हुए
    उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं,  
लेकिन जिस चरित्र,व्यक्तित्व और
   किरदार के साथ, हम विदा होंगे
   उसके लिए जिम्मेदार होंगे।

38- मोह समाप्त होते ही, खोने का भय भी, समाप्त हो जाता है.
      चाहे दौलत हो, वस्तु हो, रिश्ता हो या फिर. “जीवन”

39- कुछ लापरवाही कुछ होशियारी,
  और कुछ मना करने की कला  सीख लीजिए, 
वर्ना लोग आपका मिसयूज करेंगे ।

40- जीवन का फ्यूज उड़ने से पहले,
    जीवन को यूज कर लीजिए,,

41- “धीरज”,  अपने लिए “प्रेम”,  दूसरों के लिए
  और  “करुणा” सभी के लिए रखिये।

42- समय, विश्वास और सम्मान,  ये तीनों ऐसे पक्षी है,
  जो उड़ जाएं तो वापिस नहीं आते है।

43- “मजबूर” और “मजबूत” में ज्यादा फर्क नही है।
  “स्वार्थी” मनुष्य से दोस्ती  करेंगे
    तो वो हमको “मजबूर” बना देगा।
    और “सच्चे” मनुष्य से दोस्ती करेंगे
   तो वो हमको “मजबूत” बनाएगा।।

44- जब “नाराजगी” अपनों से हो , तो “खामोशी” ही “अच्छी” 

45- अब हर बात पर “जंग” हो ये “जरुरी” तो “नहीं”
 “दर्पण” का “जीवन”भी कितना “विशिष्‍ट” है।
 जिसमें “स्वागत”सभी का है
 लेकिन,”संग्रह”किसी का “नहीं”। 

46- कौन कहता है कि नेचर व सिग्नेचर
 कभी नहीं बदलते, बस एक चोट की जरूरत है,
 अगर दिल पर लगी तो नेचर, और
 उंगली पर लगी तो,सिग्नेचर बदल जाता है।

47- ज़िंदगी में पराया कोई नहीं     सिर्फ मन का वहम है
  भरोसा रूका, तो इंसान पराया हो जाता है,   और  सांसें रूकी, तो शरीर ।।

 48- एक मजबूत मन एक कमजोर शरीर को चला सकता है। 
 लेकिन एक कमजोर मन एक मजबूत शरीर को नहीं चला सकता।। 

49- आत्मबल,  शारीरिक बल से अधिक महत्वपूर्ण है
 किसी को खुश रखने  का मौका मिले तो छोड़िये मत,
 फरिश्ते होते हैं वह लोग जो  दूसरों की खुशी का
         ख्याल रखते हैं  “सदैव खुश रहै” 

50- शिकायतें वहीं शोर करती है, जहां रिश्ता रखने की चाह हो,
   रिश्ता खत्म होने के बाद, तो शिकायतें अपने आप ही शांत हो जाती है    

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