Dussehra Kyon Manate,Why celebrate Dussehra/दशहरा क्यों मनाया जाता है ।

Dussehra Kyon Manate.Why celebrate Dussehra: हिन्दू धर्म में त्योहारों का बहुत महत्व है हिन्दू धर्म में बहुत से तीज त्यौहार मनाएं जाते है होली दीपावली दशहरा  हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहार है इन त्योहारों में से दशहरा  भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। विजयदशमी Dussehra ka Rehashy/दशहरा क्यों मनाया जाता है /दशहरे  का रहश्य ।

इस वर्ष दशहरा 5 अक्टूबर 2022 को मनाया जा रहा है।

Dussehra Kyon Manate/Why celebrate Dussehra-

दशहरा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्री राम ने इसी दिन महाज्ञानी, महप्रतापी ,महा शक्तिशाली रावण का वध किया था। इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।

 दशहरा क्यों मनाया जाता है

 १- दशहरा  सम्पूर्ण भारत मनाया जाता  है, जिसमें  माता दुर्गा और भगवान श्रीराम की अहम् भूमिका मानी जाती  है  दुर्गा माता ने महिषासुर (दैत्यों से ) से लगातार नौ दिनो तक युद्ध करके महिषासुर का वध कर दिया था इसीलिए माता दुर्गा जी के  9 शक्ति रूपों की पूजा करके इसे  विजय-दिवस के रूप में  मनाया जाता है जिसे विजया-दशमी का नाम दिया गया है।

२- भगवान श्रीराम ने भी  लंका के राजा रावण के साथ लगातार नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन ही रावण का वध करके 
लंका पर विजय हासिल की  थी इसलिए इस दिन को भगवान श्रीराम की विजय के रूप में भी मनाया जाता है  दस सिर वाले रावण  का वध भगवान श्रीराम के हाथों होने के कारण  इसे दशहरा कहा गया। (दशहरा क्यों मनाया जाता है /दशहरे का रहश्य। Why celebrate Dussehra/Dussehra ka Rehashy  )

अन्य महत्व

हिन्दू धर्म के महाज्ञानियों के अनुसार दशहरा हिन्दू धर्म की वर्ष की तीन शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो तिथियां चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा है । इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करना शुभ मानते है।

इसके अलावा ज्येष्ठ माह की शुक्ला दशमी को जिसे गंगा दश-हरा भी कहते हैं । यह मन जाता है कि इस तिथि को गंगा का जन्म हुआ था अर्थात् गंगा भगीरथ के पुत्रो को तैरने के लिए स्वर्ग से मर्त्यलोक में आई थीं । इसीलिए यह तिथि , बहुत ही पुण्य तिथि मानी जाती है । यह मन जाता कि  इस तिथि को गंगास्नान (गंगा में स्नान) करने से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के पाप दूर  होते हैं ।

दशहरे का रहश्य

यह लोक विदित है कि भगवान श्रीराम ने लंका के राजा रावण से युद्ध करके  उसे युद्ध में पराजित कर असत्य पर सत्य की जीत का अमूल्य  संदेश दिया । यह भी सर्व विदित कि रावण को महाज्ञानी, महप्रतापी ,महा शक्तिशाली माना जाता है और यह भी माना जाता है रावण एक महान व्यक्तित्व से युक्त था।

भगवान श्रीराम ने भले ही रावण का वध किया है यह धर्म ग्रंथो में वर्णित है लेकिन यह भी कहा जाता है कि रावण खुद चाहते थे कि उनके वंश यानि राक्षश कुल का उद्धार भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम के हाथों से हो । अपनी और अपने वंश की मोक्ष की प्राप्ति के लिए ही रावण ने माता सीता का हरण किया। भगवान श्री राम से  युद्ध किया और परिवार के सदस्यों को एक एक करके  भगवान श्री राम जी से लड़ने के लिए भेजा,सबसे अंत में भगवान श्रीराम से युद्ध किया  और मोक्ष को  प्राप्त किया । 

रावण के दस सिरों का रहस्य

रामचरित मानस में रावण के दस सिरो का वर्णन  है।  लेकिन कुछ  लोग मानते हैं कि रावण के दस सिर नहीं थे। रावण माया की विद्या में निपुण था जो किसी भी तरह का रूप धारण  कर सकता था  रावण के मायावी होने के  कारण ही  लोगो में यह भ्रम था कि रावण दस सिर थे ।

रामचरित मानस के साथ साथ कई ग्रंथों के अनुसार, रावण के दस सिर थे ,वह  6 शास्त्रों और  4 वेदों का ज्ञाता था  इसीलिए रावण को  एक महान विद्वान बताया गया है। रावण शास्त्र और सस्त्र की विद्या में निपुण था । (Why celebrate ussehra/विजयदशमी Dussehra ka Rehashy/दशहरा क्यों मनाया जाता है /दशहरे  का रहश्य ।)   

दस सिरों के कारण  रावण  को दस बुराइयों का प्रतीक भी माना जाता है।

रावण की शिव भक्ति

लंकापति रावण भगवान शिव जी के परम भक्त थे।  भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की लेकिन भगवान शिव के प्रसन्न न होने ,दर्शन नहीं  होने पर रावण ने भगवान  शिवजी को अपना सर काटकर चढ़ा दिया था लेकिन उनका सिर फिर से जुड़ गया। रावण  फिर से अपना सिर काटा लेकिन दूसरी बार भी उसका सर जुड़ गया  इस प्रकार रावण ने दस बार अपना सर अपने धड़ से काटा और हर उसका सर  जुड़ गया।

अंत में भगवान शिवजी रावण की तपश्या से प्रशन्न हुए  उसे यह वरदान दिया कि वह  तब तक नहीं मारा जा सकता जब तक कि उसकी नाभि में प्रहार नहीं होता है

 भगवान शिवजी ने रावण  को दस सिरों का भी वरदान दिया इस प्रकार रावण का नाम दशानन हुआ ।

 इस लेख में हमने रावण केवल रावण की अवगुणों का उल्लेख नहीं बल्कि रावण के सद्गुणों का भी वर्णन किया है  लोगो की यह मानसिकता है कि वे  नौ सद्गुणों को न देखकर एक अवगुण को चुन लेते है।

सभी लोग दशहरा की ख़ुशी से मनाइये, खुश रहियें।

(Why celebrate Dussehra/विजयदशमी Dussehra ka Rehashy/दशहरा क्यों मनाया जाता है /दशहरे  का रहश्य ।)

थी विजय दशमी यही जब राम ने दल साजकर,

गिर प्रवर्षण से चढ़ाई की थी लंका राजपर।

आज भी उसको मनाते है कि रावण मारकर,

राम की जय जय मनाते आदर्श मानव मानकर।।

                                                         
न्यवाद

Leave a Comment