Kya ise Vivah Kahate hai?

Kya ise Vivah Kahate hai? :इस लेख में हम विवाह क्या है विवाह की परिभाषा एवं उद्देश्य के बारे बताएंगे और पुराने विवाह के रीती रिवाजो और वर्तमान रीती रिवाजो में क्या अंतर् हो गया है यह बताने की की कोशिश  कर रहे है ।

विवाह की परिभाषा-

Kya ise Vivah Kahate hai? :विवाह एक सामाजिक बंधन है जिसमें दो पवित्र आत्माओं का बंधन और मिलन होता है जिसे सामाजिक रूप से विवाह नाम दिया गया है क्योंकि हर्षोल्लास के साथ सामाजिक मर्यादाओं का निर्वहन करते हुए वर-वधू का विवाह किया जाता है जिससे लडके लड़की को विना व्यधान के एक दाम्पत्य जीवन बिताने का अधिकार मिल जाता है। पूर्व में विवाह कार्यक्रम समाज के समस्त व्यक्तियों के द्वारा सामूहिक रुप से मिल जुलकर किया जाता था। जिसमे सामाजिक एकता प्रदर्शित होती थी।

विवाह क्या है_vivah ki Paribhasha aur Uddeshy

आज का दौर बहुत ही बदल गया है आज के समय में विवाह कार्यक्रम पूरी तरह से बदल गये है। आजकल लोग केवल खाना खाने के लिए आते है। अच्छे से अच्छा नास्ता करते हैं चाय कॉफी पीते हैं और मस्ती के साथ खाना खाते हैं  और अंत में एक लिफाफा पकड़ाते और यह कह कर चले जाते हैं कार्यक्रम बहुत अच्छा हुआ सजावट बहुत अच्छी है खाना बहुत अच्छा थाशादी की वर्तमान रस्म भी नहीं देखते और निकल जाते हैं। यह लिफाफा केवल बारात में उपस्थिति दर्ज कराने का साधन मात्र है (Kya ise Vivah Kahate hai?)

इसके अलावा और भी देखा जाए तो, विवाह के जो कार्यक्रम आज के युग में होते हैं  “क्या उनमें सामाजिकता है”

क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं, दारू पीकर हल्ला मचाने को विवाह कहते हैं, क्या रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारू की पार्टी करके हू हल्ला करना, इसे विवाह कहते हैं

 डीजे बजाने को विवाह कहते हैं हुडदंग करने को विवाह कहते हैं, नाचते हुए लोगों पर पैसे लुटाने को विवाह कहते हैं,,  घर में सात आठ दिन धूम मची रहे इसे विवाह कहते हैं। दारू की 20- 30 पेटी जब तक ना लग जाए तब तक उसे विवाह नहीं कहते हैं।

इसे क्या समझा जाए।

vivah Kya hai

साहब विवाह उसे कहते हैं जो सामाजिक मर्यादाओं का पालन करते हुए  मंडप के नीचे विवाह की बेदी पर  सामाजिक रीति रिवाज से पंडित के विधिवत मंत्र उच्चारण के द्वारा सभी देवी-देवताओं का आवाहन करके विवाह को वैदिक रीति रिवाजों के अनुसार संपन्न कराया जाता हैं।

आज के युग में लोग कहते हैं कि 6-7 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे हैं लिस्ट बनाकर सब सामान खरीद रहे हैं और जब विवाह हो रहा होता है उस समय पंडित जब पान सुपारी की मांग करता है तो वहां पर बैठे  विवाह के संयोजक  या  समान लाने वाले लोग कहते हैं अरे वह तो हम भूल ही गए हैं। जो सबसे जरूरी काम था वह आप भूल गए हैं और विवाह की सामग्री भूल गए हैं तो 6-7 महीने से कौन सी तैयारी कर रहे थे। Kya ise Vivah Kahate hai?

आज का दौर दिखावे का दौर है जिसमें दिखावे की तैयारी की जाती है सब दिखावा ही किया जाता है हमारे ऋषियों ने कहा है जो जरूरी काम है वह काम कीजिए । ठीक है अब तुम लोगों के पार्टियां खाई हैं खिलानी तो पड़ेंगी ही।

अब तो समय के साथ-साथ रीत रिवाज भी बदल गए हैं मगर आप दिखावे से बचें।

मैं कहना चाहता हूं कि आज आप जो करना चाहते हैं  करें।जो दिखावा कर रहे हैं  खूब करो,जी भर कर करो मगर जो असली काम है जिसे सही मायने में विवाह कहा जाता है उसे तो समय से करें जो शादी से पहले, शादी की नियत तिथि और समय पंडित से निकलवाते है उसका तो ध्यान रखे।

शादी समय पर ना हो तो क्या मजा है, 3 घंटे दूल्हे को सजाने में लगते हो, अगले तीन घंटे वधु पक्ष द्वारा तैयार किये गए
बारातघर पर पहुंचते हो अगले 2 घंटे बारातियों का स्वागत करने में और समधी मिलन लगाते हो, और पेट भर नास्ता करते हो 2- 3 घंटे जयमाला में और फोटो खिंचवाने में लगाते हैं। यह सब पहले भी होता था जैमल और फोटो नहीं खींचे जाते थे। Kya ise Vivah Kahate hai?

यह सब करने एक बाद, पंडित जी के सामने आते ही, कहेंगे कि पंडित जी जल्दी जल्दी करो बहुत देर हो गयी है तब पंडित जी भी बेचारे क्या करें वह भी कहते हैं ये स्वाहा वो स्वाहा सब स्वाहा। पंडित जी जल्दी जल्दी में सब स्वाहा कर देते है जरा तुम खुद ही बर्बाद होना चाहते हो  समय घड़ी नक्षत्र में शादी नही करते हो तो शादी सफल कहां से होगी,पूरी रात जागना पंडित जी के लिए जरूरी है क्या, पंडित जी तो भी अपनी जीविका चलाने के लिए पुरोहित काम करते हैं

आपके पास सुभमुर्हत  में शादी करने काम समय नहीं है और बाकी सब कामों के लिए समय है जो जरूरी नहीं है

आप अपने सभी नाते रिश्तेदारों को दोस्तों को भाई बंधुओं को और जो भी समाज के लोग हो सबको लेकर या कुछ गणमान्य जो रिस्ते में होते हैं को लेकर किसी मंदिर में किसी गौशाला आश्रम में धार्मिक स्थान पर या तहसील में भी जाकर कर विवाह सकते हैं

जिससे आपके समय की बचत होगी ऐसा नहीं कि आपका मान-सम्मान भी होगा । मन सम्मान भी मिलेगा क्युकी आप एक ऐतिहासिक ाकरी जो करेंगे विना लेन देन के क्या ऐसी अपवित्र जगह में जहां पर शराब पी गयी हो, हड्डियां नोचकर फेंकी गई हो उस मैरिज हाल में, उस मैरिज पैलेस में क्या देवता आना पसंद करेंगे । क्या ऐसी जगह देवता आशीर्वाद देने आएंगे अपने दिमाग से सोंचों वह आपको आशीर्वाद देने आएंगे।

नाचना है आपको, नाचिऐ,  जो भी करना है वह सब विवाह वाले दिन से पहले कर लीजिए या विवाह संपन्न होने के बाद कर लीजिए

विवाह का कोई एक शुभमुहूर्त निकलता है  उस दिन सिर्फ आपके विवाह से संबंधित कार्य करने चाहिए और यह शुभ कार्य किसी भी पवित्र स्थान पर करें , जहां पर बुजुर्ग लोग आवे बड़े लोग आवे और आशीर्वाद मिले ।

आप सभी लोग खुद विचार  कीजिए हमारे घर में कोई मांगलिक कार्य है जिसमें सब आए हैं और अपने ठाकुर को भूल जाएं ।अपने कुल देवी देवता को भूल जाएं। या वह हमारे असभ्य कार्यो के कारण शादी में न आये। Kya ise Vivah Kahate hai?

हमारा आपसे निवेदन है कि विवाह धार्मिक उत्सव हैं वह शराब के साथ संपन्न ना की जाए उन विषय वस्तु को शामिल ना करें जो धार्मिक कार्य में बाधा हैं । जिस तरह आप पूजा पाठ करते हैं उसमें दारू नहीं पीते हैं भांग नहीं खाते हैं कोई
नशा नहीं करते है और वैदिक रीति से देवी देवताओं का आवाहन कराते हैं तब सारे देवी देवता आते हैं और आपको आशीर्वाद देते हैं ऐसा आप सभी लोग मानते भी हैं।Kya ise Vivah Kahate hai?

शादी एक जन्म जन्मांतर का बंधन होता है और इस कार्यक्रम का किसी निर्विघ्न बाधा के, पवित्र आत्मा से, पवित्र मन से ,पवित्र भावनाओं से आप निर्वहन करें जिसमें मांस मदिरा  का सेवन न करने और समय की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए करें तो यह एक सफल अनुभूति होगी।

 प्रिय पाठक लेख आपको अच्छा लगा हो तो शेयर कीजिये लाइक  कीजिये  कमेंट कीजिये और अपने सुझाव भी दीजिये  जिससे हम अपने को और अच्छा लेखक बना सकू

 Fqs:-

Qn-1 विवाह क्या है?

Ans:- विवाह स्थायी सम्बन्ध है। विवाह से पति-पत्नी के बीच स्थायी सम्बन्ध की स्वतंत्रता  मिलती है। उनके समाजीकरण एवं व्यक्तित्व के विकास की दृष्टि से विवाह सम्बन्ध का स्थायी होना आवश्यक है।

हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से  विवाह एक संस्कार माना गया है। विवाह = वि +वाह, अत: इसका शाब्दिक अर्थ है – विशेष रूप से (उत्तरदायित्व का) वहन करना। पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है

Qn –2 विवाह का उद्देश्य क्या है?

Ans:- विवाह का उद्देश्य अत्यन्त पवित्र और गौरवशाली सम्बन्ध बनाना है। विवाह का प्रमुख उद्देश्य पति पत्नी को अपने धार्मिक एवं सामाजिक कर्तव्यों को पूरा करने के अवसर प्रदान करना है। विवाह संस्कार  से व्कक्ति अपने समस्त अपेक्षित कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है। Kya ise Vivah Kahate hai?

Leave a Comment