Love Story suddenly turn in marriage :शादी एक ऐसा पवित्र बंधन है जिसमे समाज का हर एक व्यक्ति बंधना चाहता है। शादी समाज की सम्मानित रस्म है।
Love Story suddenly turn in marriage पात्र-
लडकी पक्ष– आरती (वधू)
श्रीकृष्ण जी (आरती के पिता),
कमला रानी (आरती की मां)
अजीत (आरती का भाई)
लडका पक्ष– विमलेश (दूल्हा)
रामशंकर जी (दूल्हे के पिता)
विशाल दूल्हे का दोस्त,
रमेश (दूल्हे का भाई)।
Love Story suddenly turn in marriage :आरती और विमलेश की शादी तय हो गयी थी। शादी तय होने में दोनों परिवारों ने एक दूसरे का बहुत ख्याल और सम्मान रखा था ।
जैसा कि हर माता पिता अपनी बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से करना चाहते है लडके वालों के मान सम्मान में कोई कमी न रह जाए इसका पूरा ध्यान रखते है।
शादी तय होने के बाद की सभी रस्मे पूरी हो गयीं थी और शादी की तारीख भी निश्चित हो गयी थी।
Love Story suddenly turn in marriage शादी में आया अचानक मोंड-
नियत तिथि पर आरती और विमलेश की शादी सम्मान पूर्वक और रीति रिवाज के अनुसार सम्पन्न हो गयी थी।
विदाई की शुभ घडी थी सभी को बस यही इंतजार था कि वधू कार में बैठे और बारात, घर के लिए रवाना हो।
पर समय और सोंच कब बदल जाय कोई नहीं जानता है।
शादी के बाद विदाई समारोह होता है सभी इससे परिचित है, लडकी का मां से मिलना, रोना, पिता से मिलना रोते रोते अपनी बातें कहना।आरती अपनी माँ से मिलने के बाद अपने पिता से लिपट कर रो रही थीं। लडकी के सभी परिवार वालों की आंखें नम थीं। जैसा कि विदाई समारोह में अक्सर दिखाई देता है।
सामाजिक परम्परा के अनुसार आरती ने घूँघट निकाला हुआ था, उसकी सहेलियां उसे विदाई के लिए सजाई गयी कार के नज़दीक ले जा रही थी।
और दूल्हा विमलेश भी अपने खास मित्र विशाल व आकाश के साथ बातें कर रहा था। विशाल, विमलेश से कह रहा था कि घर पहुंचते ही सबसे पहले पास के होटल मे चलकर बढ़िया खाना खाएंगे।
यहाँ तेरी ससुराल में खाना खाने में मज़ा नहीं आया। खाना कुछ टेस्टी नही था यह सुनते ही पास में खड़ा विमलेश का छोटा भाई रमेश भी बोल पड़ा ‘हॉ विशाल भईया पनीर कुछ ठीक नहीं था, रस मलाई में रस ही नहीं था।’ यह कहकर वह विशाल के साथ जोर जोर से हंसने लगा।
विमलेश ने भी इन लोगों का साथ दिया और बोला हम लोग होटल क्लार्क अवध चलेंगे, तुम लोगों को जो खाना होगा वहॉ खूब खा लेना। Love Story suddenly turn in marriage
हमें भी यहाँ खाने में टेस्ट नहीं आया, रोटियां सुखी थी और करेला कहीं नजर नही आया।
आरती वहीं कार के पास खड़ी थी और उसने अपने पति के मुँह से कही गयी सभी बातें सुन ली।
आरती कार में बैठने वाली थी लेकिन विमलेश की बातें उसके दिमाग में घूमने लगीं फिर अचानक आरती ने कार का दरवाजा तेजी के साथ बंद कर दिया और अपना घूंघट हटाकर खड़ी हो गयी। सभी लोग अचम्भें में पड़ गये कि लड़की को क्या हो गया, सभी नकारात्मक सोचने लगे कि कहीं लडकी मानसिक रूप से वीमार तो नहीं है आखिर ऐसा क्यों किया।
शादी में हुए अचानक बदलाव का असर-
तभी वह दौड़कर अपने पापा के पास पहुंच गयी और अपने पापा का हाथ पकड़कर कहा पापा! मैं ससुराल नहीं जा रही हूं मुझे यह शादी कतई मंजूर नहीं है।’ Love Story suddenly turn in marriage
मुझे यह शादी मंजूर नही यह शब्द उसके मुंह से इतनी जोर से निकले कि सब लोग सुनकर कुछ क्षण के लिए एक बुत के समान हो गए।
धीरे धीरे सब नज़दीक आने लगे। आरती के ससुराल वालों पर तो जैसे हिमालय टूटकर गिर पड़ा हो ऐसे अचेतन अवस्था में हो गये।
मामला क्या था क्या घटित हुआ? यह कोई समझ नहीं पा रहा था।
तभी आरती के ससुर रामशंकर जी अपनी बहू आरती के पास आये और पूछा बहू बात क्या है? यह तो पता चले।
शादी हो गयी है विदाई हो रही थी आप कार में बैठने जा रही थीं ,यह अचानक क्या हुआ? कि शादी मंजूर नही है यह कहकर वापस जा रही हो। Love Story suddenly turn in marriage
उधर विमलेश भी मुंह लटकाए खडा था उसकी दुनिया बसने के पहले उजडती नजर आ रही थी।
वह भी आरती के पास गया, विमलेश के सभी दोस्त भी आरती के पास आ गये।
सभी लोग यह जानना चाहते थे कि आखिरी वक़्त पर ऐसा क्या हुआ जब आरती ससुराल जाने वाली कार में बैठने जा रही थी कि उसने ससुराल जाने से मना कर दिया। Love Story suddenly turn in marriage
आरती ने अपने पिता श्रीकृष्ण जी का हाथ तेजी से पकड़ रखा था और रोते जा रही थी।
तभी आरती ने अपने ससुर से कहा ‘बाबूजी, मेरे माता पिता जी ने अपने सपनों को दफनकर हमें पढ़ाया लिखाया व हमें काबिल बनाया है।
क्या आप जानते है कि एक बाप के लिए बेटी क्या मायने रखती है? शायद आप नही जानते है।
आप और आपका बेटा यह नहीं जान सकते क्योंकि आपके कोई बेटी नहीं है आपकी कोई बेटी होती तो विमलेश की बहन भी होती।
आरती रोती जा रही थी बोलती जा रही थी ‘आप यह नहीं जानते है कि मेरी शादी के लिए व शादी में बारातियों के स्वागत में कोई कमी न होने पाये इसके लिए मेरे पिताजी पिछले 6 माह से रात को जागकर-जागकर मेरी माँ के साथ शादी की योजना बनाते थे। Love Story suddenly turn in marriage
खाने का मीनू क्या रहेगा, रसोइया कौन सा होगा किसको क्या पसंन्द है? शादी का प्रोग्राम किस बारातघर में रखा जाय? क्या आप जानते है मेरी माँ ने पिछले एक साल से कोई नई साड़ी नही खरीदी क्योकि मेरी शादी में कोई कमी न रह जाये इसलिये।
आप सबको दिखाने के लिए मेरी माँ ने अपनी बहन यानि मेरी मौसी जी की साड़ी पहन रखी है और मेरी साज सज्जा बनायीं है यही नहीं मेरे पिता जी ने नई शर्ट के नीचे जो बनियान पहन राखी है उसमे भी छेद ही छेद है।
मेरे माता पिता ने न जाने कितने सपनों को ताख पर रखकर शादी के लिए पैसे जुटाएं है। न अच्छा खाया है न अच्छा पहना है।
बस एक ही तमन्ना रखी थी कि मेरी शादी में कोई कमी न रहे।
और सुने ये जो आपके पुत्र है न, इनको रोटी सुखी व ठंडी लगी , करेला नहीं मिला और इनका दोस्त विशाल उनको पनीर में गड़बड़ लगी।
और ये जो मेरे देवर खड़े है न, इनको रस मलाई में रस नहीं मिला कोल्ड्रिंक इनके मन की नहीं मिली।
ये दूल्हे राजा यानि मेरे पति जी को ये सब अच्छा लग रहा था और ये खिलखिलाकर हँस रहे थे जो मेरे पिता जी के अभिमान को गिराने के समान है। Love Story suddenly turn in marriage
आरती रोते रोते बेसुध हो रही थी इस पर आरती के पिता ने रोते हुए आरती से कहा ‘लेकिन बेटी ये छोटी सी बात है , शादी बारात में तो ये होता ही है और तुम शादी तोड़ दे रही हो।’ आरती ने अपने पिता की बात, बीच मे ही काट दी और कहा पिताजी ‘यह छोटी बात नहीं है। Love Story suddenly turn in marriage
मेरे पति को मेरे पिता की इज्जत नहीं है उनका कोई मन सम्मान नहीं है।
आप लोग ये देखे और बताएं कि क्या रोटी ,रसमलाई, कोल्ड्रिंक, पनीर यह सब मेरे पापा ने बनाया है। नहीं न।
यह सब कैटर्स ने बनाया है या सब कैटर्स का काम है
आपने इन सबके मन मुताविक दिल खोलकर खर्च किया है अपनी हैसियत को भी पार कर गए।
बनाये गए खाने में कुछ कमी होती है तो वह कैटर्स की गलती होती है। न कि पिताजी आपकी है।
आप तो अपने जिगर का टुकड़ा अपनी प्यारी सी गुड़िया को विदा कर रहे है। मुझे विदा करने के बाद आप कितनी रात रोयेंगे क्या यह मुझे पता नहीं है? Love Story suddenly turn in marriage
मेरी माँ कभी भी मेरे बिना घर से बाहर नही जाती थी और कल से वह बाज़ार अकेली जाएगी। उन्हें कैसा लगेगा क्या वह जा पाएगी?
और ये जो लोग पत्नी या बहू लेने आये है अपने परिवार की ख़ुशी लेने आये है वह खाने में कमियां निकाल रहे है।
मुझमे कोई कमी नहीं है यह बात इन सबकी समझ में नही आई’
श्रीकृष्ण जी ने आरती के सर पर स्नेह से हाथ फिराया और कहा ‘अरे पगली क्यों बात का बतंगड़ बना रही है?
मुझे तुझ पर बहुत गर्व है कि तू मेरी बेटी है इन 300 लोगो को अकेले सिखा दे रही है।
लेकिन बेटा इस हंसगुल्ले विमलेश , इस भुख्खड़ विशाल और इस रसेदार अपने देवर को माफ कर दे ये तुझे बाद में बहुत याद करेंगे। Love Story suddenly turn in marriage
तुझे मेरी कसम, अब तू शांत हो जा।’
तभी विमलेश ने आकर आरती के पिताजी के हाथ पकड़ लिए और बोला “बाबूजी मुझे माफ़ कर दीजिए, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी। वह ठीक से बोल नही पा रहा था ‘ उसका गला बैठ गया था अंत में वह भी रो पड़ा।
तभी रामशंकर जी (आरती के ससुर) आगे बढ़कर आये उन्होंने आरती के सर पर पुत्र स्नेहित हाथ रखा और दबे स्वर में बोले बेटी “मैं तो बहू लेने आया था लेकिन ईश्वर इतना दयालू है कि ईश्वर ने मुझे संस्कारयुक्त बेटी दे दी। एक ऐसी बेटी दे दी जिसने हमें बेटी की अहमियत भी समझा दी कि बेटी क्या होती है। Love Story suddenly turn in marriage
रामशंकर जी ने महसूस किया की मुझे ईश्वर ने बेटी नहीं दी थी शायद इसीलिए कि, आरती जैसी बेटी मेरी नसीब में आने वाली थी।
रामशंकर जी ने भी कहा कि आरती बेटी अब इन नालायकों को माफ कर दें।
मैं तेरे सामने हाथ जोड़ता हूँ “तू मेरी बेटी आरती मुझे लौटा दे”
इतना कहकर रामशंकर जी ने आरती के सामने सचमुच हाथ जोड़ दिए और सर भी झुका दिया। आरती ने अपने ससुर के हाथ पकड़ लिए और कहा ‘बाबूजी।’ ऐसा मत कीजिये हम बड़ो का सम्मान करते है।
तभी रामशंकर जी ने अश्रुपूरित शब्दों में कहा आरती बिटिया ‘बाबूजी नहीं, पिताजी बोलिये ।’
यह सुनकर आरती भी भावुक हो गयी और अपने ससुर जी से लिपट गयी। यह देखकर आरती के पिता श्रीकृष्ण, आरती जैसी बेटी का पालन पोषण करके अपने को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।
A Love Story Pyar aur Shadi
एक अभूतपूर्व ज्ञानमयी पाठ पढ़ाकर आरती अब राजी खुशी से अपने ससुराल को रवाना हो गयी थी और पीछे छोड़ गयी अश्रुधारा। Love Story suddenly turn in marriage
और छोड़ी आंसुओं से भीगी अपने माँ पिताजी की आंखें, अपने माता पिता का वह स्नेहित आँगन जिसमें वह किलकारी करती थी ,चहकती थी और गोदी में उछलती थी। आज से इस आँगन की चिड़िया उड़ गई थी, उसे कोई उडा ले गया अब किसी दूसरी जगह पर और किसी पेड़ पर अपना खुद का घरौंदा बनाएगी और एक नई दुनिया बसायेगी।
मै यह सोचता हूँ कि किस अनभिज्ञ व्यक्ति ने जिसे समाज का पूर्ण ज्ञान नहीं था जिसने बेटी को ‘पराया धन’ की संज्ञा दी होगी। बेटी को पराया धन कहना बिल्कुल गलत है।
बेटी माँ बाप का अभिमान व अनमोल रत्न होती है, धन नहीं है जिसे लोग पराया धन कहते है। वह हर घर की रौनक होती है। जो लोग बेटी को पराया धन कहते है वह भी गलत कहते है और बेटी की अहमियत नही जानते है।
हम आप सभी को यह सुझाव देना चाहते है कि जब भी आप शादी में जाये तो यह ध्यान जरूर रखें कि खाने में कमियां नहीं निकाले। सकारात्मक होकर हर चीज की प्रसंसा करे क्योकि शादी में पनीर की सब्ज़ी बनाने के लिए एक पिता बहुत कुछ त्याग करता है और खाना तो एक कैटर्स बनता है। Love Story suddenly turn in marriage
अपने आँगन की खुशियां किलकारियां देकर, दूसरे के आंगन को महकाना कोई छोटी बात नहीं है।
शादी में बनने वाला यह भोजन सिर्फ भोजन नहीं होता है बल्कि एक पिता के अरमानों का व उनके जीवन का सपना होता है।
बेटी की शादी में बनने वाला पनीर ,बनने वाली रोटी या रसमलाई या करेला पकने में उतना ही समय लगता है जितनी कि शादी में वधू (लड़की) की उम्र होती है।
बेटी की शादी में बनने वाले पकवानों में स्वाद लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। बरसो का इंतजार करना होता है कई सपनों को भूल जाना पड़ता है बेटी को पढ़ाकर सुयोग्य बनाया जाता है। एक बेटी की शादी के पकवान बनाने में पिता को सालों लगते है, इसलिए बेटी की शादी में कार्यों की सराहना करें और खाने का सम्मान जरूर करें क्योंकि इसी से जीवन चलता है।
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यह एक कदम बेटियों के सम्मान के लिए है।
कहानी में नाम काल्पनिक है लेकिन घटना सत्य है यदि आज को देखे।